Wednesday, August 12, 2020

प्रेम और प्रतिज्ञा का भाग-1

 साथियों आज आरंभ करने जा रहा हूँ प्रेम और प्रतिज्ञा के ऊपर कुछ ऐसी विषय वस्तु जो हम सभी के लिए अति आवश्यक हैं, इसके बाद और भी विषय और टॉपिक हैं, उन सबपर भी खुलकर पहल होगी। बहुत सारे विषय हैं जिसमें एक मनो विकृति भी आती हैं, जिसमे कुछ लोग मानसिक अवसाद के कारण आत्म हत्यायें भी कर लेते हैं।

साथियों यह जीवन बहुत ही जटिल हैं परंतु इन सबका समाधान प्रेम हैं इसलिए इस विषय को मैंने पहले चुना।

ध्यान दीजिएगा जब अप बच्चे रहते हैं, बचपन को याद कीजिए।

बचपन में कोई भी मारपीट हो या डाटडपट हो, कुछ पल में ही फिर आप उन्हीं लोगो से हंसते खेलते हैं जो आपको डाटा या मारा, इसका कारण जानते हैं शुध्द हृदय में निश्चल प्रेम को भरे रहने से होता है।बचपन में बहुत सी घटनाएं होती है परंतु बच्चे सबकुछ भूलकर उस प्रेम को ही केवल मात्र अपने पास रखते हैं जिससे सभी का हृदय जीत लेते हैं क्योंकि बचपन हरगम से बेगाना होता है।

साथियों बचपन की उन यादो को स्मरण कीजिए और देखिये कि आप क्या थें और क्या हो गयें केवल मात्र थोड़े से लालच में फंसकर; और वो लालच हैं धन, क्रोध, माया, अत: इसमें जितना सब्र रखेंगे उतना ही सुरक्षित रहेंगे क्योंकि यह तो शेष नहीं होना है आपको उसी के बीच में रहना है तो सोचियें पानी में रहकर कोई मगर से बैर नहीं कर सकता परंतु उसमें रह तो सकता है प्रेम पूर्वक, यह एक कहावत हैं और यह कहावत भी कहीं ना कहीं किसी की बातों को शिद्ध करने के लिए ही कहा गयाहैं और शायद वो बात यही हों।

आप अपने पास प्रेम को रखिये, उस प्रेम को जब पिताजी की डांट खाकर मां से पिताजी पर अंकुश लगाते थे और मां से जब डांट खाते थे तो पिताजी के पास जाकर मां के उपर अंकुश लगाते थे परंतु हृदय कितना पवित्र था, वही अंकुश वापस प्रेम में बदल जाता था, वो तो आज भी हो सकता हैं इसके लिए केवल आपको एक प्रतिज्ञा करनी होगी कि आज से हम सर्व साधारणकी जिंदगी बितायेंगे।

प्रतिज्ञा किसी भी कार्य में प्राण डाल देती हैं, बस उसे लेने की देर हैं, एकबार साहस कर के प्रतिज्ञा लेकर तो देखिए।



।। मिलतें हैं फिर अगली कड़ी में।।

       युगलमिलन

         लेखक 

Wednesday, May 6, 2020

प्रेम और प्रतिज्ञा

आज का विषय ही कुछ अनोखा हैं साथियों क्योंकि लोग भाग दौड़ की जिंदगी में सबकुछ भूल बैठे हैं और आज जिस तरह से चाइनीज कोरोनावायरस का प्रकोप विश्व में चहुंओर बढ़ रहा है यह देखते हुए विश्व के लगभग-लगभग सभी देशों ने अपने लोगों को लॉकडाउन करके घरों में बंद कर दिया है,कारण है लोगों की जिंदगी अगर कोई बचेगा ही नहीं तो फिर इस दुनियां के अत्याधुनिक होने का क्या लाभ???

आज विश्व जिस दिशा में जा रहा है वो नहीं पता कि उसका दिशा कितना सफल होगा अतः जितनी तिव्रता से वैज्ञानिक इस चाइनीज कोरोनावायरस का टीका उपलब्ध करवाये उतनी ही अच्छी होगी जानता के जिंदगी को सुरक्षित रखने के लिए।
आज लोग बाध्य भी हो चुके हैं अपने प्रेम से भरे इस प्रकृति की सेवा करने के लिए क्योंकि आज प्रतिज्ञा नहीं लिये प्रकृति को सुरक्षित रखने का तो आनेवाला समय और भी अधिकतर कष्ट कारक होने वाला है।
लोगों कोई चाहिए कि प्रकृति के विरुद्ध कोई भी कार्य ना करें परंतु मैं देखता हूं कि भारत के लोग भी पश्चिमी सभ्यता को धीरे-धीरे अपनाते जा रहें हैं और तीर्थ स्थलों पर भी जाकर पवित्रता को अपंग बनते जा रहे हैं ये सब कारण बहुत है आपको आज घरों में बंद रखने के लिए।
एक बात हरपल मनन रखियेगा कि समय से बढ़कर कुछ भी नहीं वही जहां लोग रोजमर्रा कि जिंदगी के लिए दौड़ भाग करते थे आज स्वंय को बचाने के अपने घरों में बैठे हैं।

एकपल ठहरकर कुछ उस प्रकृति के विषय में सोच विचार कर लो सभी क्योंकि हम-सब को इसी अनमोल प्रकृति के बीच में रहना हैं और कुछ भी गड़बड़ी हुई तो हमसबको मिलकर भोगना भी पड़ेगा जिस तरह से आज सभी भोग रहे हैं किसी ना किसी के कारण सभी लोग भोग रहे हैं तथा इसका असर लोगों के आम जीवनशैली पर भी पड़ रहा है लोग अस्वस्थता से होते हुए मौत के पास पहुंच रहे हैं जिसके फलस्वरूप आज लाखों लोग मारे जा चुके हैं।

आज सभी लोगों को यह प्रतिज्ञा लेनी होगी कि प्रकृति के विरुद्ध हम कुछ भी नहीं करेंगे क्योंकि यह प्रकृति जितनी सुंदर दिखती है उससे भी कहीं अधिक भयावह है, आपको पता होगा कि प्रत्येक कार्य, अवस्था, के दो पहलू होते हैं जिस तरह से दिन रात होते ही हैं, अच्छा बुरा भी होता है ठीक उसी तरह से प्रकृति भी है।

आज बहुत बड़ी विडंबना है कि हमें प्रकृति ने तो बहुत कुछ दिया परंतु क्या हम इस प्रकृति को प्रेम करते हैं, इंसानियत के नाते १% भी वापसी में दिये???

आज यह प्रश्न आप स्वंय से पुछियेगा क्योंकि जबतक आप जागेंगे बहुत देर हो जायेगी और पता चलेगा कि उस पतन का कारण आप ही है तो क्या आप अपने आप को कभी जीवन में क्षमा कर पायेंगे।

साथियों यस प्रकृति बहुत ही अनमोल, अतुलनीय और अद्भुत होते हुए बहुत ही सुन्दर है। एक बात सर्वदा ध्यानपूर्वक सुनें जब-तक आप किसीको कष्ट नहीं देंगे तब तक कोई आपकों कष्ट नहीं देगा यह इस विशाल संसार के कुछ नियमों में से एक महत्वपूर्ण नियम है तथा संपूर्ण विश्व के प्राणी प्रकृति की ही संरचना है अतः आज सभी प्रण लेते हुए एक प्रतिज्ञा अवश्य करें कि प्रकृति विरूद्ध ना कोई कार्य करेंगे और ना ही किसीको करने देंगे।
हम प्रकृति से प्रेम करते हुए ही अपना जीवन निर्वाह करेंगे यही प्रतिज्ञा आज सभी को लेने की आवश्यकता है।
वृक्षारोपण करते हुए वृक्ष की कटाई पर भी रोक लगाना आपका ही अधिकार है यह सारे कार्य प्रकृति के विरुद्ध ही है और हां जाते - जाते एक बात और बताते जा रहा हूं आज प्रकृति अपने आप को पुनः स्थापित करने का प्रयत्न कर रही हैं तो आप समझ सकते हैं कि आप रहें या ना रहे प्रकृति अपने आप को सुरक्षित रखने में भी आप से बहुत कदम आगे है।
प्रकृति से प्रेम करना सीखें और प्रतिज्ञा लेकर इसकी रक्षा।
जय हो...