साथियों आज आरंभ करने जा रहा हूँ प्रेम और प्रतिज्ञा के ऊपर कुछ ऐसी विषय वस्तु जो हम सभी के लिए अति आवश्यक हैं, इसके बाद और भी विषय और टॉपिक हैं, उन सबपर भी खुलकर पहल होगी। बहुत सारे विषय हैं जिसमें एक मनो विकृति भी आती हैं, जिसमे कुछ लोग मानसिक अवसाद के कारण आत्म हत्यायें भी कर लेते हैं।
साथियों यह जीवन बहुत ही जटिल हैं परंतु इन सबका समाधान प्रेम हैं इसलिए इस विषय को मैंने पहले चुना।
ध्यान दीजिएगा जब अप बच्चे रहते हैं, बचपन को याद कीजिए।
बचपन में कोई भी मारपीट हो या डाटडपट हो, कुछ पल में ही फिर आप उन्हीं लोगो से हंसते खेलते हैं जो आपको डाटा या मारा, इसका कारण जानते हैं शुध्द हृदय में निश्चल प्रेम को भरे रहने से होता है।बचपन में बहुत सी घटनाएं होती है परंतु बच्चे सबकुछ भूलकर उस प्रेम को ही केवल मात्र अपने पास रखते हैं जिससे सभी का हृदय जीत लेते हैं क्योंकि बचपन हरगम से बेगाना होता है।
साथियों बचपन की उन यादो को स्मरण कीजिए और देखिये कि आप क्या थें और क्या हो गयें केवल मात्र थोड़े से लालच में फंसकर; और वो लालच हैं धन, क्रोध, माया, अत: इसमें जितना सब्र रखेंगे उतना ही सुरक्षित रहेंगे क्योंकि यह तो शेष नहीं होना है आपको उसी के बीच में रहना है तो सोचियें पानी में रहकर कोई मगर से बैर नहीं कर सकता परंतु उसमें रह तो सकता है प्रेम पूर्वक, यह एक कहावत हैं और यह कहावत भी कहीं ना कहीं किसी की बातों को शिद्ध करने के लिए ही कहा गयाहैं और शायद वो बात यही हों।
आप अपने पास प्रेम को रखिये, उस प्रेम को जब पिताजी की डांट खाकर मां से पिताजी पर अंकुश लगाते थे और मां से जब डांट खाते थे तो पिताजी के पास जाकर मां के उपर अंकुश लगाते थे परंतु हृदय कितना पवित्र था, वही अंकुश वापस प्रेम में बदल जाता था, वो तो आज भी हो सकता हैं इसके लिए केवल आपको एक प्रतिज्ञा करनी होगी कि आज से हम सर्व साधारणकी जिंदगी बितायेंगे।
प्रतिज्ञा किसी भी कार्य में प्राण डाल देती हैं, बस उसे लेने की देर हैं, एकबार साहस कर के प्रतिज्ञा लेकर तो देखिए।
।। मिलतें हैं फिर अगली कड़ी में।।
युगलमिलन
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